Sunday, 29 November 2015

for 8th..जहाँ पहिया है.



For viii  std”
पाठ 13 जहाँ पहिया है

Note : * Draw the picture -1 page (1)

       * write “ लेखक परिचय “ -page2

       * write “ शब्दार्थ “ - page3

       * write “कठिन शब्द – 30 “ – page 4

       * write “सारंश” – page 5

       * write प्रश्नोत्तर “ page 6

       * write “ भाषा की बात “ page 7
Page:5                              
सारांश :
      “ जहाँ पहिया है “ पात में एक लेखक पी. साईनाथ ने तमिल नाडु के पुडुकोट्टई गाँव की स्त्रियॉं द्वारा संचालित “ साइकिल आंदोलन “ वर्णन किया है | यह पाठ इस आंदोलन को अपना समर्थन देने के लिए ही लिखा गया है | वहाँ की महिलाओं द्वारा अपने अधिकारों और स्वतन्त्रता के लिए साइकिल आंदोलन का आरंभ करना एक बड़ी घटना थी | वहाँ के कुछ औरतों ने पुडुकोट्टई की बाकी औरतों को जागृत करने का प्रयास किया | यह बहुत उत्तम प्रयास था जो सफल भी रहा | बेशक साइकिल चलाना कोई बड़ी बात नहीं है पर एक रूढ़िवादी पृष्ठभूमिवाले गाँव के लिए तो यह एक बहुत बड़ा प्रश्न था | उनके विरुद्ध खड़े होकर “ साइकिल “ को अपनी प्रगति चुनना यह सिद्ध करता है कि स्त्री शक्ति चाहे तो कुछ भी करने में समर्थ है | लेखक का यही प्रयास है कि भारत के अन्य क्षेत्रों कि स्त्रियों भी
इससे प्रेरणा लेकर अपने अधिकारों के लिए लड़े |

Page : 6

जंजीरें :
प्र1.
उ. 1. पुडुकोट्टई की महिलाओं रूढ़िवादिता, पिछड़ेपन व बंधोनों से परिपूर्ण जीवन
बीटा रही थीं |इन्हीं बंधोनों को लेखक ने जंजीरेंमाना है |

प्र 2.
उ. इस वाक्य से हम पूर्णतया सहमत है | पुडुकोट्टई की महिलाओं रूढ़िवादिता पुरुष प्रधान समाज की जंजीरों में जकड़ी थीं | लेकिन साइकिल चलाने से उनकी जीवन ही बदल गया |  
इससे वे आत्मसम्मान , आत्मनिर्भर हो गई | साइकिल चलानाउनकी “आज़ादी का प्रतीक “ बन गया |

पहिया :

प्र 1.
उ. * वे रूढ़िवादिता, पिछड़ेपन व बंधनों से परिपूर्ण जीवन से बाहर निकल सकीं |
   * स्त्रियॉं में आत्मसम्मान की भावना जागृत हुई |
   * इससे उन्हे आत्मनिर्भर बनने का मौका मिला |
   * साइकिल से घरेलू कार्यों को भी सुचारू रूप से करने लगे |

प्र 2.
उ.क्योंकि उसकी दुकान पर लेडीज साइक्ले की बिक्री में 350% की वृद्धि हुई थी | यहाँ तक कि  जिनको लेडिज़ साइकिल नहीं मिल पाई थीं उन्होने जैंट्स साइकिल ही खरीद लीं |  
     
प्र 3.
उ. * लोग उन महिलाओं पर गालियाँ देने लगे | लेकिन महिलाएँ बिना किसी की परवाह किए निरंतर आगे की ओर अग्रसर ही होती रहीं |

शीर्षक की बात :

प्र 1
उ. यह शीर्षक रखना पूर्णतया उचित है क्योंकि पहिए गतिशीलता का प्रतीक है |
पुडुकोट्टई  की महिलाओं ने साइकिल आंदोलन चलाया तो उनका जीवन भी गतिशील गो गया | इससे उनमें आत्मसम्मान की भावना भी बढ़ गई |

 प्र 2.
   उ. इस पाठ का अन्य शीर्षक है – “ आज़ादी का दिन “ क्योंकि साइकिल चलाना सीखने से उन पुडुकोट्टई की महिलाओं को रूढ़िवादिता  व पुरुषों  द्वारा थोपे गए रोज़मर्रा के घीसे-पिटे दायरे से आज़ादी मिली |

भाषा की बात ;
प्र 1
उ. उपसर्ग
        शब्द
       उपसर्ग
       मूलशब्द
अभिव्यक्त
अभि
व्यक्त
अनुभव
अनु
भाव
प्रशिक्षण
प्र
शिक्षण
प्रदर्शन
प्र
दर्शन
परिवहन
परि
वहन
विनम्र
वि
नम्र
बेशक
बे
शक
प्र2
.उ. प्रत्यय
शब्द
मूलशब्द
प्रत्यय
समझना
समझ
ना
गतिशीलता
गतिशील
ता
सामाजिक
समाज
इक

No comments:

Post a Comment