कक्षा : 10 केन्द्रीय
विद्यालय अशोक नगर – 83
विषय:हिन्दी
प्रपत्र
- 2
11 निम्नलिखित में से किसी एक
काव्यांश के प्रश्नों के उत्तर लिखिए _ (2+2+1)
यश है या न वैभव है , मान है न सरमाया ;
जितना ही दौड़ा तू उतना ही भरमाया
|
प्रभुता का शरण-बिंब केवल मृगतृष्णा
है ,
हर चंद्रिका में छिपी एक रात
कृष्णा है |
जो है यथार्थ कटीं उसका तू कर
पूजन _
छाया मत छूना
मन , होगा दुख दूना |
(क)
कवि के अनुसार यश, वैभव, मान और धन
व्यर्थ क्यों हैं ?
(ख) “मृगतृष्णा” का प्रयोग काव्यांश में किस अर्थ
में हुआ है ?
(ग) “हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा है | “ – भाव स्पष्ट कीजिए |
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