Wednesday, 2 March 2016

for class 8 th भारत की खोज

                                                                     भारत    की    खोज
 
11. (क) प्राचीन समय में विदेशों में भारतीय संस्कृति के प्रभाव के दो उदाहरण बताइए। (ख) वर्तमान समय में विदेशों में भारतीय संस्कृति के कौन-कौन से प्रभाव देखे जा सकते हैं? अपने साथियों के साथ मिलकर एक सूची बनाइए।
(संकेत - खान-पान, पहनावा, फिल्में, हिंदी, कंप्यूटर, टेलीमार्केटिंग आदि।)

उत्तर

(क) प्राचीन समय में विदेशों में भारतीय संस्कृति के कई प्रभाव पड़े। भारत में आने वाले विदेशी यात्री भारत की संस्कृति की विशेषताओं को अपने साथ ले गए उनमें मुख्य हैं- भारतीय खानपान की चीज़ें, भारतीय कपड़ों का विदेशों में प्रचलन आदि।

(ख) वर्तमान समय में भी विदेशों में भारतीय संस्कृति के कई प्रभाव देखे जा सकते हैं, जैसे -
→ विभिन्न पकवान तथा खानपान की चीज़ें
→ भारत में पहने जाने वाले कपड़ों की माँग
→ भारतीय भाषा हिंदी तथा अन्य भाषाओं का प्रभाव
→ कंप्यूटर के क्षेत्र में विदेशी बाज़ार पर प्रभाव डाला है
→ अन्य पहलू जैसे- धर्म, दर्शन, नीति-शिक्षा आदि का भी महत्वपूर्ण स्थान है।

21. 'भारत माता की जय' − आपके विचार से इस नारे में किसकी जय की बात कही जाती है? अपने उत्तर का कारण भी बताइए।

उत्तर

जब भी हम इस नारे का जय घोष करते हैं तो हम सदैव भारत भूमि की जय की बात करते हैं क्योंकि इस भूमि में भारत की भौगोलिक स्थिति- उसकी धरती, नदी, पहाड़, समुद्र, मैदान की ही नहीं अपितु भारत के लोगों व संस्कृति को भी अभिन्न अंग के रूप में जोड़ा गया है और तब उन सब से मिलकर बने 'भारत' को माँ के रूप में जय घोष करते हैं। इस कथन को नेहरू जी ने अपना समर्थन दिया है। उनके अनुसार भारत की मिट्टी, एक गाँव, एक जिले और एक राज्य की नहीं अपितु तमाम टुकड़ों या फिर पूरे भारत की मिट्टी से है। इसके अलावा भारत के पहाड़, नदियाँ, जंगल फैले हुए खेत जो हमारा भरण-पोषण करते हैं, वे भी सम्मिलित हैं। पर इन सब चीज़ों से अधिक महत्वपूर्ण भारत की जनता है जो इस विशाल भूखंड के चारों ओर फैले हुए हैं और यही इस भारत माता का मूल रूप है इसलिए हमें इन सबकी जय बोलनी चाहिए।

22. (क) भारत पर प्राचीन काल से ही अनेक विदेशी आक्रमण होता रहे। उनकी सूची बनाइए। समय क्रम में बनाएँ तो और भी अच्छा रहेगा। (ख) आपके विचार से भारत में अंग्रेज़ी राज्य की स्थापना इससे पहले के आक्रमणों से किस तरह अलग है?

उत्तर

(क)
(i)
1000 ई.
महमूद गजनवी
(ii)
1191 ई.
शहबुद्दीन गौरी (मोहम्मद गौरी)
(iii)
1400 ई.
तैमूर (तुर्क-मंगोल)
(iv)
1526 ई.
बाबर (मुग़ल साम्राज्य की नींव, पहला शासन)
(v)
-
नादिरशाह
(vi)
1700 ई. से 1946 ई.
अंग्रेज़

(ख) अंग्रेज़ी राज्य अन्य पहले आक्रमणकारियों से बिल्कुल विपरीत था। पहले के आक्रमणकारी भारत की अतुल धन संपदा को लूट कर ले जाते थे। भारत में रहने का उनका कोई मुख्य उद्देश्य नहीं था। बस मुगल साम्राज्य को छोड़कर अधिकतर ने भारत की अतुल संपदा को लूटा है और यहाँ की सभ्यता का नाश करने का प्रयास किया है। परन्तु अंग्रेज़ी सरकार इसे अपने उपनिवेश के रूप में रखना चाहती थी और उसने किया भी। वे यहाँ पर खून-खराबा करना नहीं चाहते थे। वे भारत को अपना गुलाम बनाकर कच्चा माल पाने के लिए उपनिवेश के रूप में इस्तेमाल करना चाहते थे। दमन तो उन्होंने भी किया पर वह सिर्फ़ विद्रोह होने पर इसका सहारा लेते। उन्होंने आरंभ में अपने पैर शांतिपूर्वक जमाए। व्यापार के माध्यम से भारत में दाखिल हुए और धीरे-धीरे अपनी प्रभुता कायम की। यहाँ उन्होंने युद्धों या आक्रमणों के स्थान पर अपनी बुद्धि का प्रयोग किया और पूरे भारत पर कब्ज़ा कर लिया।

23. (क) अंग्रेज़ी सरकार शिक्षा के प्रसार को नापसंद करती थी। क्यों? (ख) शिक्षा के प्रसार को नापसंद करने के बावजूद अंग्रेज़ी सरकार को शिक्षा के बारे में थोड़ा-बहुत काम करना पड़ा। क्यों?

उत्तर

(क) अंग्रेज़ी सरकार को भारत में शिक्षा का प्रसार करना उचित नहीं लगता था। इसका मुख्य कारण यह था कि अंग्रेज़ी सरकार भली-भाँति जानती थी, शिक्षा मनुष्य के विकास के सारे रास्तों को खोल देती है, उसको विकास के रास्ते देती है और यह मजबूती वे भारतीय समाज में नहीं आने देना चाहते थे। भारत में शिक्षा के अभाव के कारण ज़्यादातर जनता अशिक्षित थी। जिसके कारण उनका समुचित विकास नहीं हो पाया। वे उन्हीं पुराने रूढ़ियों, रीतियों में उलझे हुए थे और अंग्रेज़ी शासन के लिए यह उचित था। यदि लोग शिक्षित हो जाते तो उनमें जागृति उत्पन्न हो जाती। वे अपने अधिकारों के लिए सचेष्ट हो जाते जो अंग्रेज़ी शासन के लिए एक बड़े खतरे से कम नहीं था।

(ख) अंग्रेज़ों ने, शिक्षा का प्रसार न करने के हिमायती होते हुए भी, भारत में शिक्षा का थोड़ा बहुत प्रसार किया। इसमें भी उनका ही स्वार्थ हित था। भारत में पैर पसारने के साथ-साथ अपनी बढ़ती व्यवस्था के लिए उन्हें बड़ी संख्या में क्लर्कों को प्रशिक्षित करके तैयार करने का प्रबन्ध करना पड़ा और इन्हीं परिस्थितियों वश भारत में शिक्षा का प्रसार करना पड़ा। बेशक यह शिक्षा सीमित थी व परिपूर्ण नहीं थी, फिर भी उसने नए और सक्रिय विचारों की दिशा में भारतीयों के दिमाग की खिड़कियाँ और दरवाज़े खोल दिए जिससे भारतीय समाज में परिवर्तन होने लगा और आधुनिक चेतना का प्रसार हुआ।

25. गाँधी जी के दक्षिण अफ्रीका से लौटने पर निम्नलिखित में किस तरह का बदलाव आया, पता कीजिए- (क) कांग्रेस संगठन में।
(ख) लोगों में - विद्यार्थियों, स्त्रियों, उद्योगपतियों आदि में।
(ग) आज़ादी की लड़ाई के तरीकों में।
(घ) साहित्य, संस्कृति, अखबार आदि में।

उत्तर

(क) गाँधी जी से पहले कांग्रेस अपनी पहचान खो रहा था। वह दलों में विभाजित हो गया था। गांधीजी के कांग्रेस में जुड़ने से पार्टी में नई जान आ गई थी। उनके नेतृत्व के कारण ही कांग्रेस देश की राष्ट्रीय पार्टी बन गई।
(ख) लोगों में नई शक्ति का संचार हुआ, विद्यार्थियों ने विद्यालय छोड़कर देश सेवा को अपनी पाठशाला बना लिया और आज़ादी की लड़ाई में कूद पड़े। स्त्रियों ने पर्दों व घरों को छोड़ पुरूषों से कंधे से कंधा मिलाकर इस संग्राम में भाग लिया।

(ग) पहले क्रांतिकारी हिंसा द्वारा आज़ादी पाने का सपना देख रहे थे। उन्होंने कई बम धमाके किए, कई अंग्रेज़ी ऑफिसरों की हत्या की, पर गाँधी जी के आने के पश्चात् इन सब में परिवर्तन आ गया। गाँधी जी ने अहिंसा पर बल दिया। उन्होंने पदयात्रा, अनशन, धरने जैसे शांतिपूर्ण उपायों को अपना हथियार बनाया। अब बम, बंदूक का स्थान अहिंसा ने ले लिया।

(घ) साहित्य, संस्कृति, अखबार आदि का विकास हुआ। पहले सिर्फ़  ब्रिटिश अख़बार ही निकलता था, परन्तु जैसे-जैसे शिक्षा का प्रसार हुआ साहित्य, संस्कृति ने भी जोर पकड़ना आरंभ किया। अब तो भारत की हर भाषा में अख़बार छपने आरंभ हो गए। इन्हीं अख़बारों द्वारा जनता में जागृति की लहर फैलाई जा सकी।

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