अनुच्छेद-2 (for 8 th)
मेरे जीवन का लक्ष्य
मनुष्य अनेक कल्पनाएं करता है | वह अपने को ऊपर उठाने के लिए
योजनाएँ बनाता है | सभी अपने सामने कोई-न कोई लक्ष्य रख कर चलते हैं | विभिन्न व्यक्तियों के विभिन्न
लक्ष्य होते हैं | कोई डाक्टर बनकर रोगियों
की सेवा करना चाहता है तो कोई
इंजीनियर बनकर निर्माण करना चाहता है | कोई नेता बनना चाहता है तो कोई समाजसेवक | मेरे मन में भी एक कल्पना है
| मैं अध्यापक
बनना चाहता हूँ | कुछ लोग इसे साधारण उद्देश्य समझेंगे पर मेरे लिए यह गौरव की बात
है | देश सेवा और समाज सेवा का सबसे बड़ा साधन यही है | यदि मैं शिक्षक होता तो सबसे
पूर्व छात्रों को शिक्षा के महत्तव से परिचित कराकर उनमें शिक्षा के प्रति रुचि पैदा
करूँगा | आज बहुत-से विद्यार्थी शिक्षा को बोझ समझते हैं | मैं उनमें अच्छे संस्कार पैदा
कर उनकी बुराइयों को समाप्त करूँगा | गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए भी काम करूँगा |अध्यापक बनने का मेरा निश्चय
अटल है और ईश्वर करे कि मेरी यह अभिलाषा पूरी |
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