खानपान की बदलती तस्वीर
निबंध से
उ.1. लेखक का तात्पर्य यह है ;- आज प्रत्येक घर खानपान की
मिश्रित संस्कृति को अपना रहा है | मिश्रित का अर्थ है
मिला-जुला | एक-साथ कई प्रकार के व्यंजनों का सेवन प्रचलन बन
गया | हम हर संस्कृत के खानपान को अपनाते हैं |
मेरा
घर चेन्नई में है | इडली-चावल मुख्य भोजन है लेकिन हमारे
घर में इडली –चावल से ज्यादा रोटी-चने ,बर्गर व नूडल आदि
अधिक पसंद किए जाते हैं | यह सब घर में ही बनाते हैं |
उ.2. खानपान में बदलाव से निम्नलिखित फ़ायदे हैं :-
* राष्ट्रीय
एकता को बढ़ावा मिला है |
* फास्ट
फूड के कारण खाना जल्दी बनता है|
* स्वाद, स्वास्थ्य, व सरसता के आधार पर भोजन का चयन कर पाना
|
* देश
विदेश के व्यंजन मालूम होना |
लेखक इस
बदलाव को लेकर चिंतित भी हैं :-
·
स्थानीय भोजन का चलन अपना महत्व खो
रहा है |
·
मौसमी व्यंजन अपना महत्व खो चुके
हैं |
·
नई पीढ़ी फास्ट-फूड को अधिक महत्व
देती हैं |
उ.3.
स्थानीयता का अर्थ है किसी विशेष स्थान के खाने-पीने का विशेष व्यंजन |हर क्षेत्र का अपना एक विशेष प्रकार का खानपान प्रचलित होता है | इसको स्थानीयता कहा जाता है | जैसे गुजरात का ढोकला, पंजाब की कढ़ी और साग आदि भी प्रसिद्ध है |
+भाषा की बात
1.
सीना-पिरोना – यह सीने-पिरोने का काम दर्जी का है |
2.
भला-बुरा - उसने मुझे भला-बुरा कहा|
3.
चलना फिरोना - वह लड़की जल्दी चलने
फिरने लगेगी |
4.
लंबा- चौड़ा - भीम का शरीर लंबा- चौड़ा
था |
5.
कहा-सुनी - विशाली की माँ के साथ
कहा-सुनी हो गई |
6. घास-फूस -
गाय घास-फूस खाती है |
उ.2. आराम-नींद- सपना-गाड़ी-दफ्तर-अफसर- कम-आराम |
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